बड़-बड़

मान मौसम का कहा
छाई घटा
जाम उठा......
बहुत टेम्पटिंग लाईन्स हैं....... ऐसा लगता है कि अगर आप इस गाने को सुन रहे हैं और आपके हाथ में एक ग्लास नहीं है तो आप कोई गुनाह कर रहे हैं - जैसे मैं अभी कर रहा हूँ.....

जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार को प्यार मिला.......
नहीं मैं सेन्टी नहीं हो रहा हूँ...... ये जग्गु दादा गा रहे हैं
 बीच में एक पूराना यार मिल गया..... औनलाईन था..... थोडा खोज खबर ले लिये......
अब तो बाद में ही हो पायेगी ब्लौग्बाजी!

जाते-२ ग़ालिब को दोहराये जाता हूँ -

"मोहब्बत में नहीं है फ़र्क जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़ीर पे दम निकले"

Comments

  1. is bar bar ke baad kuch aur bar bar sunnay ko kab milega?? am eagerly waiting ur next post

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