हिन्दी में मेरा पहला ब्लौग

हर वक़्त ये सोचने में गुज़र गया
कि इस वक़्त ये कर लें
वो करने की उम्र फिर आयेगी......
कभी-२ सोचता हूँ -
अभी तो बहुत कुछ देखना बाकी है
मसलन
रिश्ते जो अब तक बनते देखा
उन्हें टूटते देखना बाकी है।
ज़िन्दगी की रफ़्तार को और तेज होते देखना बाकी है।
जिनको अब तक फौर ग्रान्टेड लेता हूँ
उनके बिना ज़िन्दगी जीना बाकी है।
"उगता सूरज शरीर की थकान मिटाता है"
ऐसा लोग कह्ते हैं
इक बार उस सूरज के सामने खड़े हो कर
अपने मन की थकान मिटाना बाकी है।।

Comments

  1. maja aa gaya bhai,lekin hindi main likhey kaise? aur haan likhtey rehna aise hi...

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