आओ िमल कर बैठें
कई िदनों से ख्वािहश थी
ईक पूरा िदन तुम्हारे साथ िबताने की।
ळम्हे जो इधर-उधर खर्च िकये थे मैंने
उन सबको बटोरने की।
तुम्हारी यादों के टूकड़े
फ़ैले हैं जो सारे घर में
अक्सर पाँव में चुभते हैं
उन टूकड़ों को तुम्हारे साथ िमल कर
जोड़ने की।
कभी इधर आओ
तो साथ िमल बैठें
पुरानी यादें ताजा करें
और चंद नयी यादों का तोहफ़ा
हम दोनों अपने घर ले जायें।।
ईक पूरा िदन तुम्हारे साथ िबताने की।
ळम्हे जो इधर-उधर खर्च िकये थे मैंने
उन सबको बटोरने की।
तुम्हारी यादों के टूकड़े
फ़ैले हैं जो सारे घर में
अक्सर पाँव में चुभते हैं
उन टूकड़ों को तुम्हारे साथ िमल कर
जोड़ने की।
कभी इधर आओ
तो साथ िमल बैठें
पुरानी यादें ताजा करें
और चंद नयी यादों का तोहफ़ा
हम दोनों अपने घर ले जायें।।
Well written mate... !!
ReplyDeleteकई वर्षों की ख्वाहिश है
तमाम ज़िन्दगी यूँ ही बिताने की
कुछ गिले-शिकवे मिटाने की
कुछ पुरानी यादें सजाने की
Seems to be going good... lemme complete it on my own blog... [:D]